एक दिन घूमेगी मेरी भी घड़ी!

जब जब बचपन तुझे अपनाया ,
तब तब पापा से डाँट पङी
कर लू कितनी भी मेहनत ,
फिर भी बाते सुन ली बङी
पापा को तो बस शर्मा जी के बेटे की चिंता पङी,
रोज करते है बिना बात के मेरी खटिया खङी
जैसे जीना चाहता हूं वैसे जीने दो ना,
मुझे नहीं है दुनिया की पङी
जो करना चाहता हूं वो करने दो ना,
करो मत इतनी हङबङी।

आज समय है पापा आपका
कह लो जो कहना है ,
एक दिन घूमेगी मेरी भी घङी ।

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