सुबह से उनकी कॉल का इंतज़ार कर रहे थे
कब आएगी उनकी कॉल ये मन ही मन सवाल कर रहे थे
और घर वाले अपना अलग की बवाल कर रहे थे
और दिल को थी एक आस
की आ जाती उनकी कॉल काश
और मन मे सवालो का तूफान चल रहा था
अरे पर देखा कि रसोई में कुछ जल रहा था
और मम्मी ने पूछा कि कहाँ खोयी रहती हो आज कल तुम
जागे- जागे भी सोये रहती हो आजकल तुम
पता नही कितनी बार हमने फोन चैक किया था
कही नम्बर तो नही भूल गए वो ऐसे खयालो ने मन को छुआ था
ऐसा भी कहाँ व्यस्त है यार वो
फ़ोन करने में कितना वक़्त लगता है
हम यहां सुबह से परेशान है
और वो है कि हमारी हालत से अनजान है
दूसरो की आंखों से आंखें छुपा रहे है
दिल की बाते दिल मे दबा रहे है
दिल की गहराई को वो काश समझ पाते
इस दर्द भरी तन्हाई को वो काश समझ पाते
ये कांटे भी घड़ी के रुक -रुक के चल रहे है तो
कभी चल -चल के रुक रहे है और
हम बैठे -बैठे बस उनकी ही कॉल का
इंतजार कर रहै है ।