आजादी

हर इंसान की ज़िंदगी मे आज़ादी के होते है अलग -अलग मायने
किसी के लिए आजादी सिर्फ एक शब्द है
तो किसी के लिए निबंध है
किसी के लिए आज़ादी एक एहसास है
तो किसी के लिए द्वंद है
किसी के लिए पढ़ने की आस है आजादी
तो किसी के लिए शराब का गिलास है आज़ादी
तो किसी के लिए एक दिन का अवकाश है आज़ादी
किसी ने आज़ादी के लिए दी अपनी हर एक सांस है
तो किसी के लिए आज़ादी की बातें करना भी बकवास है
पर मेरी नज़र में आज़ादी का मतलब कुछ यूं खास है
यही बताने का इस कविता के माध्यम से प्रयास है
आज़ाद होना है हमे उन दकीयानुसी खयालो से
आज़ाद होना है हमे धर्म जाति के सवालों से
आज़ाद होना है उन आधुनिक विकारो से
आज़ाद होंना है भ्रष्टाचारी सरकारों से
उनके भाषणों पर नही है अम्ल करना
वो तो हमे बहकाते रहेंगे पर हमें है सम्भल कर चलना
वो तो देश प्रेम की बातें साल में दो बार ही करते है
जनता को बेवकूफ बनाकर अपनी जेबे भरते है

बड़े बड़े वादे करना उनकी आदत हो गयी है
हम है जनता के सेवक , ये बस उनकी कहावत हो गयी है
हमारे पास अपनी बुद्धि है ,अपना दिमाग है
बस उसका इस्तेमाल करना है
कुछ गलत दिखे तो फौरन सवाल करना है
फालतू के नियमो में बंधना नही है
जैसा सब कहते रहे वैसा करना है
क्योंकि हम इंसान है , आइना नही है
बस हमे अपनी सोच से आज़ाद होंना है
वही सही मायने में आज़ादी है ।

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