आज भारत पूरे विश्व मे विख्यात है
क्योंकि इसमें प्राकर्तिक सौंदर्य व्याप्त है
इसकी बहुमूल्य संस्कृति हो या परोपकारी प्रकृति हो
दिखाती है भारत की अनोखी आकृति जो
इसमे पर्वत ,नदियां ,सागर और वनस्पति है
और यही भारत की अनमोल सम्पति है
पर नदियां सिर्फ परोपकारी बन कर रह गयी है
ऐसी खराब हालत है कि बेचारी बन कर रह गयी है
हमारे लिए वैसे तो हर नदी पूजनीय है
पर गंगा की स्थिति की कितनी दयनीय है
गंगा सबसे पवित्र नदियो में से एक है
देवनदी,मंदाकिनी और भागिरीथी नाम इसके अनेक है
वो सिर्फ एक नदी नही है,उसमे मां का प्यार है
उसका जल हर घर मे आस्था का आधार है
पर गंगा नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है
और सिर्फ सतही स्तर पर इसकी सफाई होती जा रही है
और सफाई तो हर साल होती है
राजनीति करने वालो की ये चाल होती है
और उनका यह हस्र किसी त्रासदी से कम नही है
मां के रूप में पूजते है गंगा को,अगर वो नही तो हम नही है ।
Author: Pooja chakravarty
आजादी
हर इंसान की ज़िंदगी मे आज़ादी के होते है अलग -अलग मायने
किसी के लिए आजादी सिर्फ एक शब्द है
तो किसी के लिए निबंध है
किसी के लिए आज़ादी एक एहसास है
तो किसी के लिए द्वंद है
किसी के लिए पढ़ने की आस है आजादी
तो किसी के लिए शराब का गिलास है आज़ादी
तो किसी के लिए एक दिन का अवकाश है आज़ादी
किसी ने आज़ादी के लिए दी अपनी हर एक सांस है
तो किसी के लिए आज़ादी की बातें करना भी बकवास है
पर मेरी नज़र में आज़ादी का मतलब कुछ यूं खास है
यही बताने का इस कविता के माध्यम से प्रयास है
आज़ाद होना है हमे उन दकीयानुसी खयालो से
आज़ाद होना है हमे धर्म जाति के सवालों से
आज़ाद होना है उन आधुनिक विकारो से
आज़ाद होंना है भ्रष्टाचारी सरकारों से
उनके भाषणों पर नही है अम्ल करना
वो तो हमे बहकाते रहेंगे पर हमें है सम्भल कर चलना
वो तो देश प्रेम की बातें साल में दो बार ही करते है
जनता को बेवकूफ बनाकर अपनी जेबे भरते है
बड़े बड़े वादे करना उनकी आदत हो गयी है
हम है जनता के सेवक , ये बस उनकी कहावत हो गयी है
हमारे पास अपनी बुद्धि है ,अपना दिमाग है
बस उसका इस्तेमाल करना है
कुछ गलत दिखे तो फौरन सवाल करना है
फालतू के नियमो में बंधना नही है
जैसा सब कहते रहे वैसा करना है
क्योंकि हम इंसान है , आइना नही है
बस हमे अपनी सोच से आज़ाद होंना है
वही सही मायने में आज़ादी है ।
आज मुझे एक फोन कॉल का इंतज़ार है!
सुबह से उनकी कॉल का इंतज़ार कर रहे थे
कब आएगी उनकी कॉल ये मन ही मन सवाल कर रहे थे
और घर वाले अपना अलग की बवाल कर रहे थे
और दिल को थी एक आस
की आ जाती उनकी कॉल काश
और मन मे सवालो का तूफान चल रहा था
अरे पर देखा कि रसोई में कुछ जल रहा था
और मम्मी ने पूछा कि कहाँ खोयी रहती हो आज कल तुम
जागे- जागे भी सोये रहती हो आजकल तुम
पता नही कितनी बार हमने फोन चैक किया था
कही नम्बर तो नही भूल गए वो ऐसे खयालो ने मन को छुआ था
ऐसा भी कहाँ व्यस्त है यार वो
फ़ोन करने में कितना वक़्त लगता है
हम यहां सुबह से परेशान है
और वो है कि हमारी हालत से अनजान है
दूसरो की आंखों से आंखें छुपा रहे है
दिल की बाते दिल मे दबा रहे है
दिल की गहराई को वो काश समझ पाते
इस दर्द भरी तन्हाई को वो काश समझ पाते
ये कांटे भी घड़ी के रुक -रुक के चल रहे है तो
कभी चल -चल के रुक रहे है और
हम बैठे -बैठे बस उनकी ही कॉल का
इंतजार कर रहै है ।
एक दिन घूमेगी मेरी भी घड़ी!
जब जब बचपन तुझे अपनाया ,
तब तब पापा से डाँट पङी
कर लू कितनी भी मेहनत ,
फिर भी बाते सुन ली बङी
पापा को तो बस शर्मा जी के बेटे की चिंता पङी,
रोज करते है बिना बात के मेरी खटिया खङी
जैसे जीना चाहता हूं वैसे जीने दो ना,
मुझे नहीं है दुनिया की पङी
जो करना चाहता हूं वो करने दो ना,
करो मत इतनी हङबङी।
आज समय है पापा आपका
कह लो जो कहना है ,
एक दिन घूमेगी मेरी भी घङी ।
आपका कौन-सा मजहब है?
अगर कोई न पूछे ,तो समझो गज़ब है
हर शख्स की ज़ुबान पर बस एक ही सवाल
Excuse me,
आपका कौन सा मजहब है ?
आज इंसानियत अपनी जगह पर मौन है ,
और भीड़ में सबको तलाश रहती है
कि यहां अपने धर्म का कौन है ?
यूँ तो इंसान अपने अनुसार बड़ा आधुनिक है
पर सभी धर्मों में एकता हो ,ये सोच शायद काल्पनिक है ।
हर धर्म मे उस भगवान का भी बंटवारा है
हिन्दुओ के मंदिर, मुसलमानों के मस्जिद
और सिखों का गुरुद्वारा है ।
पर समाज के लोग ये, बात समझते नही है
भगवान तो एक ही है ,वो कभी बंटते नही है …..
कभी हम रोये ,कभी वो रोये!
“वो मनहूस दिन आज भी याद है
जब उनसे मुलाकात की थी या फिर
यूँ कह लो कि वो मुलाकात नहीं वारदात ही थी
अब बिना बात के तो हम उनसे झगड़ेंगे नही
कुछ तो उन्होंने खुराफात की थी
अब उन पर भी नई -नई बाइक का भूत सवार था
और मार्केट में थी भीड़ बहुत
क्योंकि आना वाला कोई त्योहार था
मै तो अपना सम्भल कर चल रही थी और साथ -साथ फोन पर अपने फ्रेंड से बात कर रही थी
फिर क्या था बाइक थी पूरी रफ्तार में
और मैं आ गयी थी कतार में
और मैं जो गोल -गोल चक्कर खाकर
गिरी हूँ भरे बाजार में
अफसोस उसकी बाइक भी जा टकराई दीवार में
मेरा फ़ोन मेरी आँखों से ओझल हो चुका था
क्योंकि वो उसकी बाइक के टायर के नीचे सो चुका था
और फोन की स्क्रीन कुछ इस कदर टूटी थी
पर तस्सली हुई दिल को यह जानकर
की उसकी बाइक की दोनों हेडलाइट्स फूटी थी
अब वो बन्दा मेरे पास आकर बोला
की या तो तुम अंधी हो या तुम्हारी आँखें खराब हो
या सड़क पर चलते वक़्त देखती रहती ख्वाब हो तो मैं बोली
एक तो मेरा फोन तुम्हारी
वजह से टूटा है और तुम मुझे अंधा बता रहे हो और बाइक चलानी तुमको आती नही
,फालतू में ही पगलाए जा रहे हो
सारी गलती तुम्हारी है ये बात तुम फ़ौरन मान लो
और कैसे चलाते है बाइक इस बात का अपने फ्रेंड्स से ज्ञान लो
सुनिये मैडम ,हेलो मेरी बाइक की दोनों हेडलाइट्स का कुछ पता नही है और तुम आँखें मूंद कर चलती हो सड़क पर ,कह रही हो मेरी कुछ खता नही है
और बाइक खरीदी थी क्योंकि आती है चलानी ,तुम बताओ
,क्या तुम्हें आती है साईकल की घण्टी भी बजानी
अब तो बात आ गयी थी आत्मसमान पर, कुछ होता मेरे हाथ में तो तुरंत फोड़ देती उसका सर
पर मैने अपना इरादा इरादा ही रहने दिया
और जो ठीक लगा वो कह दिया
की बाजार में लड़ने -झगड़ने से कोई फायदा नही है
और जैसे इंसान हम है ,वैसे इंसान तुम हो ,कोई अलकायदा नही है
और एक हाथ से ताली बज सकती नही है
मैने अपनी गलती मान ली है ,तुम्हारे लिए जबरदस्ती नही है
और तुम्हारी बाइक जो कि अब नेत्रहीन हो चुकी थी
और शाइन तो पूरी खो चुकी थी
और मेरा फोन बेढंग हो गया था,
बिन उसके जीवन मेरा बेरंग हो गया था ,ऐसी फीलिंग आयी जैसे किसी अच्छे दोस्त का संग खो गया था और जब ये कहानी कलम से कागज़ पर उतार रही थी
तो मन मे चल रहा था ,की वक़्त ही गलत था वो ,जब मैंने अपना फोन दिया खो
और बाइक तो उसकी भी नई थी
और उसे उससे शायद उम्मीदे भी कई थी
फोन के लिए रोये थे हम कभी
और बाइक के लिए रोये थे वो कभी
और इस कहानी में कोई सच्चाई नही है ,ये भी जान लीजिये सभी।”
The Journey Begins
Thanks for joining me!
Good company in a journey makes the way seem shorter. — Izaak Walton
